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उत्तराखंड: एंबुलेंस के लिए नहीं थे पैसे तो बोलेरो की छत पर शव बांधकर घर ले गई बहन

सुविधाओं के नाम पर पहाड़ के लोगों के जीवन में दुख ही लिखा है। पिथौरागढ़ तक बेटे के शव ले जाने के लिए एक परिवार के पास पैसे नहीं थे। एंबुलेंस चालकों ने 10 से 12 हजार रुपये तक की मांग कर दी। ऐसे में परिवार ने अपने गांव के बोलेरो चालक को बुलाया और शव को बोलेरो की छत पर बांधकर पिथौरागढ़ ले गए। तमोली ग्वीर के बेरीनाग, पिथौरागढ़ निवासी शिवानी हल्द्वानी काम करने आई थी। वह हल्दूचौड़ में एक कंपनी में करीब छह महीने से काम कर रही थी। घर में माता-पिता एक व एक बहन है। पिता गोविंद प्रसाद बुजुर्ग हैं और पहाड़ में ही खेतीबाड़ी करते हैं। उसने अपने 20 वर्षीय भाई अभिषेक कुमार को भी कंपनी में काम करने बुला लिया। दो महीने पहले ही अभिषेक हल्दूचौड़ पहुंचा।

शिवानी हल्दूचौड़ में ही किराए के कमरे में रहती थी। शिवानी ने बताया कि शुक्रवार सुबह वह और भाई दोनों काम करने गए। एक घंटा काम करने के बाद अभिषेक ने सिर में दर्द होने की वजह से कंपनी से छुट्टी ली और घर गया। इसके बाद उसकी बहन ने उसे कई बार कॉल किया। लेकिन अभिषेक ने कॉल नहीं उठाई। दिन में खाना खाने के समय शिवानी घर गई, तो वहां दवाई की बदबू आ रही थी। लेकिन घर में कोई नहीं था। करीब ढ़ाई बजे पुलिस ने शिवानी को सूचना दी कि उसका भाई रेलवे पटरी के पास बेसुध गिरा है। पुलिस की मदद से अभिषेक को सुशीला तिवारी अस्पताल लाया गया। जहां डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उधर घर पर सूचना के बाद रिश्तेदार भी बेरीनाग से हल्द्वानी पहुंच गए। उधर शनिवार को पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया।

उधर, शिवानी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह शव को एंबुलेंस में घर ले जा सके। उसने एंबुलेंस वालों से पूछा तो किसी ने 10 तो किसी ने 12 हजार रुपये शव ले जाने के मांगे। उधर शिवानी ने पैसे की कमी के कारण अपने गांव के टैक्सी मालिक से संपर्क किया। इसके बाद शव को टैक्सी के उपर बांधकर बेरीनाग ले जाया गया। अभिषेक घर का इकलौता पुत्र था। उसकी दो बहनें हैं। उधर परिजनों ने बताया कि अभिषेक की मौत की खबर सुनकर मां-पिता ने खाना छोड़ दिया है। यह सुनकर उनकी तबियत भी खराब हो गई है। वह बार-बार वह बेहोश हो जा रहे हैं।

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