देहरादून के चौहान परिवार के लिए कश्मीर की वादियां एक पल में ही डर और दहशत की घाटी बन गईं। खूबसूरत पहलगाम में छुट्टियाँ मना रहा यह परिवार उस समय बाल-बाल बचा जब कुछ ही दूरी पर आतंकी हमला हो गया।
केएस चौहान, जो उत्तराखंड सरकार के सूचना एवं लोक संपर्क विभाग में संयुक्त निदेशक हैं, अपनी पत्नी सुमित्रा, बेटे विनोद और बेटी अनन्या के साथ 19 अप्रैल को कश्मीर घूमने गए थे। उनकी यात्रा पहले गुलमर्ग, फिर डल झील और 23 अप्रैल को पहलगाम तक पहुंची। चारों ओर सुकून था, पर्यटकों की भीड़ और स्थानीय लोगों की गर्मजोशी – किसी खतरे का अहसास तक नहीं था। चौहान बताते हैं, “हम पहलगाम से उस जगह के लिए निकलने ही वाले थे, जहां कुछ ही देर बाद आतंकी हमला हुआ। लेकिन जैसे ही खबर आई, हमारे कदम रुक गए। अगले ही पल पूरे इलाके में भगदड़ मच गई।”
होटल तक पहुंचना भी एक चुनौती बन गया था। हर तरफ सेना, पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों की मौजूदगी ने माहौल को और भारी कर दिया। चौहान परिवार किसी तरह होटल लौटा, लेकिन पूरी रात नींद आंखों से कोसों दूर रही। इसी बीच, देर रात उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का फोन आया। उन्होंने परिवार की कुशलता पूछी और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
चौहान कहते हैं, “हमने कभी सोचा भी नहीं था कि इतनी भारी सुरक्षा के बावजूद ऐसा कुछ हो सकता है। स्थानीय लोग बेहद परेशान हैं – उनका मानना है कि आतंकियों ने पर्यटकों को नहीं, बल्कि उनकी आजीविका पर हमला किया है।” हमले के बाद घाटी से हजारों पर्यटक लौटने लगे हैं। जिस विश्वास के सहारे कश्मीर का पर्यटन उद्योग खड़ा था, अब वह हिलता नजर आ रहा है। स्थानीय दुकानदार से लेकर टैक्सी ड्राइवर तक सब चिंतित हैं – क्योंकि इस डर की परछाईं में लौटने वाला सैलानी अब जल्दी आने की उम्मीद नहीं दिखाता।
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