उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित देश के प्रथम गांव माणा एक बार फिर अध्यात्म और आस्था का केंद्र बन गया है। 12 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद केशव प्रयाग में पुष्कर कुंभ का आयोजन हो रहा है। जैसे ही कुंभ का शुभ मुहूर्त आया, श्रद्धालुओं का जनसैलाब आस्था की डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़ा।
गुरुवार को ही दस हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने अलकनंदा और सरस्वती नदियों के संगम पर स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। श्रद्धालुओं ने न केवल स्नान किया, बल्कि अपने पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान और तर्पण भी किया, जिससे पूरे क्षेत्र में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ।
सुबह पांच बजे से ही केशव प्रयाग के पवित्र जल में स्नान हेतु श्रद्धालु जुटने लगे। स्नान के पश्चात सरस्वती मंदिर के दर्शन और भीम पुल से गुजरते हुए केशव प्रयाग तक पहुंचने वाले मार्ग पर दिनभर आस्था की भीड़ लगी रही।
दूरदराज से श्रद्धालुओं की मौजूदगी ने आयोजन को विशेष बना दिया। उड़ीसा से आए कामेश्वर राव ने बताया कि यह उनका पहला पुष्कर कुंभ है, और इस आध्यात्मिक अनुभव को वह जीवनभर नहीं भूल पाएंगे। उन्होंने बताया कि देशभर में कुल 12 नदियों पर पुष्कर कुंभ आयोजित होता है, और इस बार माणा में यह दुर्लभ संयोग बना।
कुंभ आयोजन में दक्षिण भारत के आचार्यगणों की विशेष उपस्थिति रही। लगभग 25 ब्राह्मणों ने यहां आकर श्रद्धालुओं की ओर से पूजा-अर्चना, तर्पण और पिंडदान की विधियों को सम्पन्न कराया। पारंपरिक वेदपाठ और मंत्रोच्चार से वातावरण गूंज उठा।
पारिवारिक रूप से पहुंचे अधिकांश श्रद्धालुओं के चेहरे पर भक्ति और संतोष की झलक स्पष्ट दिखाई दी। कुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता और विविधता का जीवंत उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।
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